मंत्री बनने पर मिलता है इतना पावर
फैसलों से लेकर फंड तक—सब कुछ
मंत्री अपने विभाग का प्रमुख होता है—नीतियाँ, योजनाएँ और प्राथमिकताएँ तय करता है।
विभागीय बजट के आवंटन और खर्च पर मंत्री का प्रभाव होता है।
IAS/IPS सहित विभागीय अफसरों की बैठकों और निर्देशों में मंत्री की अहम भूमिका।
विधानसभा/संसद में विधेयक पेश करना और नियमों में संशोधन का अधिकार।
सरकारी योजनाओं का शुभारंभ, निरीक्षण और प्रगति की समीक्षा।
सरकारी आवास/वाहन, स्टाफ और खतरे के आकलन के अनुसार सुरक्षा।
केंद्र या राज्य स्तर पर अन्य मंत्रियों/विभागों से सीधा समन्वय।
मंत्री का पावर जिम्मेदारी के साथ आता है—जनहित सर्वोपरि।