मैट्रिक इंटर के बाद विदेश में जाकर करें पढाई | यहाँ से भी कम फी में:-अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में पढ़ाई करने के इच्छुक भारतीय छात्रों की संख्या में कमी आ रही है। हालांकि कुछ नए डेस्टिनेशन भी तलाशे जा रहे हैं।
विदेश में छात्रों के लिए शिक्षा के नए ठिकाने
सा करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में लगभग 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। खासकर उन बिग-4 देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया) में छात्र नामांकन में कमी आई है, जो भारतीय छात्रों के लिए अब तक आकर्षण के प्रमुख केंद्र रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह तो इन देशों में हाल के दिनों में लागू किए गए वीजा संबंधी प्रतिबंध हैं। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव से आगे भी भारतीय छात्र वहां जाने से हतोत्साहित होंगे।
ब्रिटिश काउंसिल की हाल ही में जारी रिपोर्ट ‘फाइव ट्रेंड्स टु वाँच’ भी कहती है कि
आगामी कुछ वर्षों में ब्रिटेन आने वाले भारतीयों की संख्या में गिरावट आएगी। रिपोर्ट में इसकी वजह ब्रिटेन द्वारा वीजा नियमों में सख्ती करना है। इससे केवल बहुत गंभीर और मेरिटोरियस छात्र ही ब्रिटेन जाना पसंद करेंगे। लेकिन अच्छा संकेत यह है कि भारतीय छात्र अब इन बिग-4 के आकर्षण से मुक्त होकर अन्य देशों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां न केवल समान गुणवत्ता की शिक्षा किफायती दरों में मिल रही है, बल्कि वहां का माहौल भी अपेक्षाकृत शांत है। इनमें फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, नीदरलैंड्स, फिनलैंड जैसे यूरोपीय देश तो शामिल हैं ही, आने वाले वर्षों में जापान और द. कोरिया जैसे एशियाई देशों की ओर भी रुझान बढ़ने की उम्मीद है।
क्या विदेश में पढ़ाई, मतलब रोजगार की गारंटी ?
सिर्फ विदेशी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई व डिग्री रोजगार की गारंटी नहीं होती है, क्योंकि छात्र की स्किल, कटिक्ट सर्कल बनाने की उसकी काबिलियत आदि भी महत्वपूर्ण रोल निभाते है। विदेश में पढ़ाई के साथ वह सभी उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम व स्मार्टली उपयोग कर अपने लिए रोजगार के अवसर कैसे बनाता है, यह उसकी क्षमताओं पर निर्भर करता है। अच्छे ओवरसीज एजुकेशन स्पेशलिस्ट विद्यार्थी के कोर्स सिलेक्शन के आधार पर ऐसे देश का सुझाव देते हैं, जहां उसके लिए रोजगार की व्यापक संभावनाएं हो।
इन 4 नए डेस्टिनेशन में नई संभावनाएं
1. जर्मनी : छात्र संख्या में 68% की बढ़ोतरी
- भारतीय छात्र
- 2022-20,700
- 2024-34,700
यहां की पब्लिक यूनिवर्सिटीज नो ट्यूशन फीस या लो ट्यूशन फीस के कारण मशहूर हैं। इसलिए भारतीय छात्र भी आकर्षित हो रहे हैं। यह पढ़ाई के बाद 18 महीने का पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा भी देता है, ताकि छात्र नौकरी की तलाश कर सके।
2. फ्रांस: छात्र संख्या में 33% का इजाफा
- भारतीय छात्र
- 2022-6,400
- 2024-8,500
इसने 2030 तक 30 हजार भारतीय छात्रों को बुलाने का लक्ष्य रखा है। वहां मास्टर्स की डिग्री प्राप्त करने वाले भारतीय छात्र दो साल के पोस्ट-स्टडी वीजा का लाभ उठा सकते हैं। यह सुविधा केवल पांच देशों के छात्रों को ही उपलब्ध करवाई है।
3. न्यूजीलैंड: संख्या में 354% की बढ़ोतरी
- भारतीय छात्र
- 2022-1600
- 2024-7000
यहां की नीतियों और अच्छे माहौल के चलते दिसंबर 2024 तक देश में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या 24% बढ़कर 73,500 हो गई है। भारतीय छात्र न्यूजीलैंड को होटल व टूरिज्म मैनेजमेंट के लिए अच्छा विकल्प मानते हैं।
4. आयरलैंड: संख्या में 49% की बढ़ोतरी
- भारतीय छात्र
- 2022-4700
- 2024-7000
यह फार्मा और आईटी की पढ़ाई के लिए आकर्षक गंतव्य है। भारत व आयरलैंड के बीच शिक्षा संबंधी कई एमओयू भी हुए हैं, जिसके तहत आयरलैंड सरकार और यूनिवर्सिटीज भारतीय छात्रों को स्कॉलरशिप्स देती हैं।
‘बिग-4’ के प्रति घटता रुझान
भारत से विदेश जाने वाले कुल छात्रों का 72% हिस्सा बिग-4 देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया) और रुख करने के बावजूद छात्र संख्या में इस तरह से गिरावट आ रही है:
देश | गिरावट | 2022 | 2024 |
कनाडा | 40 | 2,33,500 | 1,37,600 |
ब्रिटेन | 28 | 1,36,900 | 98,900 |
अमेरिका | 13 | 2,34,500 | 2,04,000 |
ऑस्ट्रेलिया | 12 | 78,100 | 68,600 |
कहां कितना होता है खर्च?
- 18-28 लाख रु तक की ट्यूशन फीस चुकानी होती है अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में। रहवास व भोजन खर्च अलग से।
- 12 लाख रुपए से शुरू होती है यूके में एक साल के मास्टर प्रोग्राम्स की फीस। अन्य खर्च अलग होते हैं।
- 10-20 लाख रु. तक होती है कनाडा, नीदरलैंड्स, आयरलैंड व फ्रांस में मोटे तौर पर एक साल की ट्यूशन फीस।
- 3 लाख रुपए से शुरू होती है हंगरी, लातविया, माल्टा, पोलैंड आदि देशों में एक साल की ट्यूशन फीस।
विदेशों में छात्रों की बढ़ती-घटती संख्या
वर्ष | आंकड़े (लाख में) |
---|---|
2017 | 4.50 |
2018 | 5.20 |
2019 | 5.86 |
2020 | 2.59 |
2021 | 4.44 |
2022 | 7.50 |
2023 | 8.92 |
2024 | 7.59 |
किन संस्थानों को देते हैं प्राथमिकता ?
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग और इस तरह की और संस्थाएं अनेक पैरामीटर को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालयों को रैंकिंग देती है। बहुत सारे छात्र इसके आधार पर भी अपनी यूनिवर्सिटी का चुनाव करते हैं।
- अमेरिका में कंप्यूटर साइंस और आईटी संबंधी कोर्सेज के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी आदि।
- प्रतिभाशाली भारतीय छात्र यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, ऑक्सफोर्ड तथा रसैल ग्रुप की अन्य यूनिवर्सिटीज जैसे लिवरपुल, लीड्स, नॉटिंघम, एडिनबर्ग, न्यूकासल, ब्रिस्टल आदि में प्रवेश को तत्पर रहते हैं।
- यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबोर्न, यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी, यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स और ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी आदि ऑस्ट्रेलिया की नामी यूनिवर्सिटी हैं, जहां भारतीय छात्र प्रवेश पाने की चाह रखते हैं।
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