स्नातक सत्र 2025-29 में नामांकित छात्रों के लिए परीक्षा फॉर्म और रजिस्ट्रेशन पर संकट:-स्नातक सत्र 2025–29 में नामांकन लेने वाले हजारों छात्रों के सामने एक गंभीर शैक्षणिक संकट खड़ा हो गया है। कई कॉलेजों द्वारा पोर्टल बंद होने के बाद भी नामांकन लेने, समय पर छात्रों का डेटा विश्वविद्यालय पोर्टल पर अपडेट न करने, और प्रशासनिक लापरवाही के कारण अब छात्रों का रजिस्ट्रेशन और परीक्षा फॉर्म अटक गया है। इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई, परीक्षा और पूरे सत्र पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
पोर्टल बंद होने के बाद भी लिया दाखिला, हजारों छात्रों के भविष्य पर छा रहा संकट
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कई संबद्ध कॉलेजों ने पोर्टल बंद होने के बाद भी मनमाने तरीके से छात्र-छात्राओं का नामांकन लिया, जिसके कारण हजारों छात्र- छात्राओं का भविष्य संकट में है। स्नातक सत्र 2025-29 में नामांकन की प्रक्रिया पूरी करने में करीब 7 महीने लग गए।
इसके बाद भी कॉलेजों को पोर्टल पर नाम अपडेट करने की फुर्सत नहीं मिली।
जिन छात्र-छात्राओं का नाम अपडेट था, उनके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करके विश्वविद्यालय ने प्रथम सेमेस्टर के परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी है। दूसरी ओर, कॉलेज अभी नाम अपडेट करने के लिए पोर्टल खोलने का अनुरोध कर रहे हैं। स्नातक सत्र 2025-29 में करीब 1.60 लाख छात्र-छात्राओं का नामांकन हुआ है। इसमें विश्वविद्यालय की ओर से तीन मेरिट लिस्ट जारी करने के बाद भी करीब 90 हजार ही सीटभरी थी। लिस्ट में नाम आने के बाद भी विद्यार्थी कॉलेजों में नामांकन के लिए नहीं जा रहे थे।
जब स्पॉट एडमिशन का मौका मिला तो
नामांकन का ग्राफ बढ़कर 1.60 लाख तक पहुंच गया। वहीं, पोर्टल बंद होने के बाद भी कई कॉलेज मनमाने तरीके से छात्र-छात्राओं का डॉक्यूमेंट्स जमा करते रहे। ऑफलाइन मोड में नामांकन तो ले लिए, लेकिन पोर्टल पर नाम अपडेट नहीं हो सका। इसके चलते विश्वविद्यालय स्तर पर रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो सका। इस बीच विश्वविद्यालय ने इंटरनल परीक्षा करा ली और 22 दिसंबर से परीक्षा फॉर्म भरवाया जा रहा है।
कई कॉलेजों ने आवेदन देकर कहा है कि
कर्मचारियों की गलती से कुछ छात्रों का नाम अपडेट नहीं हो सका है। इसके लिए एक दिन का मौका देने का अनुरोध किया है। उधर, विश्वविद्यालय की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि कोई मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि इंटरनल एग्जाम हो चुका है।
अंगीभूत कॉलेजों को नाम अपडेट करने को मौका
स्नातक में आवेदन से लेकर नामांकन तक की प्रक्रिया पूरी करने में 7 महीने लग गए। अप्रैल में आवेदन के लिए पोर्टल खुला था, इसके बाद विश्वविद्यालय की ओर से 3 मेरिट लिस्ट जारी की गई। करीब 90 हजार छात्र-छात्राओं का नामांकन मेरिट लिस्ट के आधार पर हुआ। इसके बाद स्पॉट एडमिशन का मौका मिला, तो करीब 70 हजार विद्यार्थी बढ़ गए। पिछले महीने विश्वविद्यालय की ओर से अंगीभूत कॉलेजों को पोर्टल पर नामांकन अपडेट करने के लिए एक दिन का मौका दिया गया।
फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा की तैयारी, भरे जा रहे फॉर्म
विवि परीक्षा विभाग स्नातक सत्र 2025-29 के फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा जनवरी में कराने की तैयारी में है। इसके लिए परीक्षा फॉर्म भरा जा रहा है। 8 जनवरी तक अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों में परीक्षा फॉर्म भरा जाएगा। 9 जनवरी तक कॉलेज परीक्षार्थियों की सूची और परीक्षा शुल्क जमा करने का विवरण एडमिट कार्ड शाखा में जमा करेंगे। दिसंबर के पहले सप्ताह में सीआईए यानी इंटरनल एग्जाम भी हो चुका है। जनवरी के दूसरे पखवारे में परीक्षा शुरू कराने की योजना है।
अटकी है लॉ की परीक्षा, सत्र 2024-25 के छात्र परेशान
विश्वविद्यालय में लॉ कोर्स, यानी एलएलबी व प्री लॉ की परीक्षा इसी वजह से अटकी है। सत्र 2024-25 के फर्स्ट ईयर की परीक्षा के लिए विश्वविद्यालय ने सितंबर में ही ने फॉर्म भरवाया था। नवंबर में परीक्षा प्रस्तावित थी। लेकिन, कॉलेजों ने अब तक विश्वविद्यालय को परीक्षार्थियों सूची और शुल्क जमा करने का विवरण नहीं दिया है।
बताया जा रहा है
कुछ कॉलेजों ने ऐसे छात्रों का भी नामांकन ले लिया है, जिनका आवेदन पोर्टल पर नहीं था। विश्वविद्यालय ने उनका रजिस्ट्रेशन रोक दिया है। विश्वविद्यालय और कॉलेजों की खींचतान में छात्र परेशान हो रहे हैं। की कि
क्या है पूरा मामला? (पूरा बैकग्राउंड)
विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक सत्र 2025–29 के लिए नामांकन की प्रक्रिया एक निर्धारित तिथि तक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कराई गई थी। लेकिन कई कॉलेजों ने:
- पोर्टल बंद होने के बाद भी ऑफलाइन/आंतरिक रूप से नामांकन लिया
- नामांकन लेने के बावजूद छात्रों का नाम विश्वविद्यालय पोर्टल पर अपडेट नहीं किया
- समय रहते डेटा सत्यापन (Verification) की प्रक्रिया पूरी नहीं की
परिणामस्वरूप हजारों छात्रों का नाम विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो सका।
नामांकन तो हो गया, फिर संकट क्यों?
छात्रों का कहना है कि:
- उन्होंने पूरी फीस जमा की
- कॉलेज से नामांकन रसीद भी मिली
- कक्षाएं भी शुरू हो गईं
लेकिन जब अब रजिस्ट्रेशन और परीक्षा फॉर्म की बारी आई, तो पोर्टल पर उनका नाम ही मौजूद नहीं है। बिना नाम अपडेट हुए:
- रजिस्ट्रेशन संभव नहीं
- परीक्षा फॉर्म नहीं भरा जा सकता
- सेमेस्टर परीक्षा में शामिल होना मुश्किल
परीक्षा फॉर्म और रजिस्ट्रेशन क्यों है जरूरी?
स्नातक पाठ्यक्रम में:-
- रजिस्ट्रेशन = छात्र की आधिकारिक पहचान
- परीक्षा फॉर्म = परीक्षा में शामिल होने की अनुमति
यदि छात्र इन दोनों प्रक्रियाओं को पूरा नहीं करता है तो:-
- उसका सेमेस्टर खराब हो सकता है
- पूरा शैक्षणिक सत्र लेट हो सकता है
- छात्र को एक साल का नुकसान उठाना पड़ सकता है
छात्रों की प्रमुख समस्याएं
प्रभावित छात्रों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:-
- परीक्षा की तैयारी के बावजूद अनिश्चितता
- कॉलेज और विश्वविद्यालय के बीच जिम्मेदारी का टालना
- कोई स्पष्ट सूचना या नोटिस नहीं
- मानसिक तनाव और भविष्य को लेकर चिंता
कई छात्र ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, जिनके लिए बार-बार कॉलेज और विश्वविद्यालय का चक्कर लगाना भी मुश्किल हो रहा है।
क्या परीक्षा भी प्रभावित हो सकती है?
हां, यदि स्थिति नहीं सुधरी तो:
- सेमेस्टर परीक्षा में हजारों छात्र शामिल नहीं हो पाएंगे
- परिणाम, प्रमोशन और आगे की पढ़ाई लेट हो सकती है
- पूरे सत्र 2025–29 की समय-सारणी बिगड़ सकती है
निष्कर्ष (Conclusion)
स्नातक सत्र 2025–29 में नामांकित हजारों छात्रों का भविष्य इस समय अनिश्चितता में है। गलती चाहे कॉलेज की हो या सिस्टम की, लेकिन सजा छात्रों को नहीं मिलनी चाहिए। समय रहते यदि ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो यह संकट एक बड़े शैक्षणिक विवाद का रूप ले सकता है।
अब जरूरत है त्वरित प्रशासनिक हस्तक्षेप और छात्र-हित में ठोस फैसले की।
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