स्नातक पीजी में अब ऑनलाइन परीक्षा शुल्क जमा करना होगा – बड़ा बदलाव

स्नातक पीजी में अब ऑनलाइन

स्नातक पीजी में अब ऑनलाइन परीक्षा शुल्क जमा करना होगा – बड़ा बदलाव:-बिहार के विश्वविद्यालयों में परीक्षा प्रणाली को पूरी तरह पारदर्शी और नियमबद्ध बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। अब स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) के विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क ऑनलाइन जमा करना होगा। यह नई व्यवस्था विश्वविद्यालय प्रशासन और परीक्षा विभाग दोनों की जिम्मेदारियों को और स्पष्ट करती है, साथ ही कॉलेजों द्वारा की जाने वाली मनमानी पर भी रोक लगाएगी।

यह बदलाव छात्रों के हित में है और लंबे समय से विद्यार्थियों की मांग भी थी कि परीक्षा शुल्क लेने की प्रक्रिया डिजिटल हो ताकि कोई गड़बड़ी और अतिरिक्त वसूली न हो सके।

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में परीक्षा फॉर्म के साथ ही शुल्क भी ऑनलाइन जमा होगा। विद्यार्थी विश्वविद्यालय के पोर्टल पर परीक्षा फॉर्म भरने के साथ ही शुल्क भी जमा करेंगे, जो सीधे परीक्षा विभाग के संबंधित एकाउंट में जाएगा। विश्वविद्यालय की ओर से सिस्टम को व्यवस्थित करने के लिए बड़ा बदलाव किया जा रहा है।

स्नातक और पीजी की परीक्षाओं से नई व्यवस्था की शुरुआत होगी। इसके बाद अन्य परीक्षाओं में भी लागू किया जाएगा। इससे परीक्षाओं का आयोजन निर्धारित समय पर हो सकेगा। विश्वविद्यालय की के ओर से अभी विभाग और कॉलेजों को ई-मेल पर डमी परीक्षा फॉर्म भेजा जाता है। इसे डाउनलोड कर विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाता है। वे हस्ताक्षर करके जमा करते हैं, जिसके बाद विभागाध्यक्ष या प्राचार्य अपना हस्ताक्षर-मुहर लगाकर पोर्टल पर अपलोड करते हैं।

वहीं, परीक्षा शुल्क विश्वविद्यालय एकाउंट में जमा करके विभाग व कॉलेज एडमिट कार्ड सेक्शन में परीक्षार्थियों की सूची के साथ ही शुल्क जमा करने का साक्ष्य उपलब्ध कराते हैं। इसके आधार पर ही एडमिट कार्ड तैयार किया जाता है। इसमें कई कॉलेज लापरवाही करते हैं, जिसके कारण परीक्षा के दिन तक एडमिट कार्ड जारी करना पड़ा। इससे केंद्रों पर अफरातफरी की स्थिति बन जाती है, क्योंकि अंतिम समय तक स्पष्ट नहीं होता कि कितने परीक्षार्थी रहेंगे। परीक्षार्थी सीधे परीक्षा फॉर्म सबमिट कर शुल्क जमा करेंगे, तो विश्वविद्यालय को इसकी जानकारी रहेगी।

कुलसचिव प्रो. समीर कुमार शर्मा ने बताया कि जल्द ही नई व्यवस्था लागू की जाएगी। इसको लेकर तैयारी चल रही है। जिस एजेंसी के माध्यम से परीक्षा संबंधी कार्य होता है, उसे नया मॉड्यूल तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।

परीक्षा शुल्क में पिछले साल बड़ा घोटाला सामने आया, जिसके बाद से सख्ती बढ़ा दी गई है। एक कॉलेज में आपसी विवाद के बाद विश्वविद्यालय पहुंचे शिक्षकों ने शिकायत की थी कि प्राचार्य परीक्षा शुल्क सहित अन्य योजनाओं की राशि में गड़बड़ी कर रहे हैं। जब छानबीन शुरू हुई, तो पता चला कि जिस परीक्षा का रिजल्ट जारी हो गया है, उसका शुल्क विश्वविद्यालय को नहीं मिला है।

इसके बाद सख्ती हुई तो जुर्माना के साथ कॉलेज की ओर से राशि जमा कराई गई। इसके बाद एडमिट कार्ड सेक्शन का रिकॉर्ड देखा गया तो कई कॉलेजों ने शुल्क जमा नहीं किया था। इसके बाद व्यवस्था लागू कर दी गई कि एडमिट कार्ड सेक्शन में परीक्षार्थियों की सूची के साथ शुल्क जमा करने का साक्ष्य देने के बाद ही एडमिट कार्ड जारी किया जाएगा।

विश्वविद्यालय की ओर से परीक्षा सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए लगातार बदलाव किए जा रहे हैं। पिछले दिनों डिग्री के लिए नई व्यवस्था लागू की गई, जिसके तहत विद्यार्थी को ही पोर्टल पर सारी जानकारी भरनी है। पहले यह काम परीक्षा विभाग के स्तर से किया जाता था, जिसमें विलंब होता था।

परीक्षा फॉर्म भरने के लिए अभी विश्वविद्यालय के पोर्टल पर ही लिंक दिया जाएगा। इसके बाद परीक्षा सहित अन्य कार्य समर्थ पोर्टल से होंगे, तो ये मॉड्यूल उस पर शिफ्ट कर दिए जाएंगे। दरअसल, विश्वविद्यालय का परीक्षा सत्र बेपटरी हो गया है। इसे नियमित करने के लिए विश्वविद्यालय से लेकर शिक्षा विभाग तक लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

यूजीसी उच्चतर शिक्षा में नामांकन वापस लेने पर होने वाली शुल्क वापसी की नई नीति बनाएगा। कुछ राज्यों जैसे बिहार के विश्वविद्यालयों में स्नातक से पीजी तक कुछ खास वर्ग के छात्र-छात्राओं का नामांकन निःशुल्क होता है। यूजीसी की शुल्क वापसी पॉलिसी भी लागू रहने से चीजें उलझ रही थीं। यूजीसी ने शुल्क वापसी की नीति 2024-25 तक के लिए बनाई थी।

इसे लेकर नई नीति बननी है। इसलिए शुल्क वापसी की व्यवस्था नई पॉलिसी बनने तक लागू रहेगी। यूजीसी की शुल्क वापसी पॉलिसी के तहत 5 कैटेगरी तय है। जो भी अंतिम तिथि के 15 दिन या इससे पहले नामांकन वापस लेंगे उन्हें पूरी राशि वापस होगी।

नामांकन की अंतिम तिथि के 15 से 30 दिन बाद तक नामांकन वापस लेने पर 50 प्रतिशत शुल्क वापस होगा। जबकि 30 दिन के बाद नामांकन वापस लेने पर शुल्क वापस नहीं होगा।

संस्थान प्रोस्पेक्टस लेने के लिए छात्रों पर दबाव नहीं बनाएंगे। प्रोस्पेक्टस लेना छात्रों की स्वेच्छा पर निर्भर होगा। संस्थान जानकारियां वेबसाइट पर अपलोड करेंगे। एडमिशन फॉर्म साथ मूल डॉक्यूमेंट जमा करना अनिवार्य नहीं पर नामांकन के समय छात्र व्यक्तिगत रूप से डॉक्यूमेंट सत्यापन कराएंगे।

यूजीसी ने कहा, जो संस्थान प्रावधान का पालन नहीं करेंगे उनपर कार्रवाई होगी। ऐसे संस्थान का संबंधन वापस लिया जा सकता है। कोई अनुदान रोका जा सकता है। वहीं टीएमबीयू के रजिस्ट्रार प्रो. रामाशीष पूर्वे पूर्वे की माने तो यूजीसी नियम को लेकर कुलपति से बात की कि यहां तो सरकार की निःशुल्क नामांकन योजना लागू है। कई छात्र नामांकन वापस लें तो उनके शुल्क का क्या होगा, इस पर स्पष्ट निर्देश लेना होगा।

बिहार के विश्वविद्यालयों में यूजीसी का यह नियम और राज्य सरकार की निःशुल्क नामांकन की योजना लागू है। टीएमबीयू के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि यूजीसी के नियम के पालन की जरूरत विवि को शायद ही पड़ी है क्योंकि यहां आमतौर पर छात्र आवेदन करने के बाद अगर उन्हें लगता है कि दाखिला नहीं लेना है तो आगे की प्रक्रिया नहीं करते हैं, लेकिन परेशानी यह है कि सरकार के निःशुलक नामांकन योजना के जारी रहते अगर कोई छात्र नामांकन के बाद इसे वापस लेना चाहे तो शुल्क कैसे वापस होगा।

बिहार के विवि में सभी वर्ग की छात्राओं और एससी-एसटी के छात्रों से नामांकन शुल्क नहीं लिया जाता है।

बिहार के विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन परीक्षा शुल्क जमा करने की नई व्यवस्था छात्रों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी।
यह कदम न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि कॉलेजों की मनमानी पर पूरी तरह रोक लगाएगा। साथ ही छात्रों को तेज, आसान और सुरक्षित प्रक्रिया का लाभ मिलेगा।

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