एडमिशन लेकर छोडने पर कॉलेज को देनी पड़ेगी फी और मूल प्रमाण पत्र- बड़ा बदलाव

एडमिशन लेकर छोड़ने पर कॉलेज नहीं रखेगा फीस

एडमिशन लेकर छोडने पर कॉलेज को देनी पड़ेगी फी और मूल प्रमाण पत्र- यूजीसी ने यह नियम इसलिए लागू किया क्योंकि पहले कई कॉलेज एडमिशन रद्द करने पर छात्रों की फीस वापस नहीं करते थे और उनके मूल सर्टिफिकेट रोककर मनमानी करते थे। इससे छात्रों को दूसरी जगह एडमिशन लेने में परेशानी होती थी और आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता था। अब यूजीसी ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी कॉलेज छात्र की फीस या सर्टिफिकेट नहीं रोक सकता। नियम न मानने पर मान्यता रद्द होने, जुर्माना और एडमिशन पर रोक जैसी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इससे छात्रों को मनमानी से सुरक्षा मिलेगी और शिक्षा व्यवस्था अधिक पारदर्शी बनेगी।

अगर कोई स्टूडेंट्स किसी भी कारण से एडमिशन लेने के बाद कॉलेज छोड़ता है तो कॉलेज प्रबंधन को उसकी फीस वापस करना होगा. यूजीसी ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया कि कोई उच्च शिक्षण संस्थान किसी छात्र की फीस और उसके अकादमिक सर्टिफिकेट को नहीं रख सकता है. नियम न मानने पर मान्यता रदद, सभी प्रकार की ग्रांट रोकने, किसी प्रोग्राम में एक साल या उससे अधिक समय तक दाखिले पर रोक, जुर्माना से लेकर राज्य सरकारों के संस्थानों के खिलाफ स्टेट एक्ट के तहत कार्रवाई की जायेगी.

यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने कहा है कि यूजीसी के बार-बार निर्देशों के बाद कई शिक्षण संस्थान छात्र के कॉलेज छोड़ने पर फीस वापस नहीं कर रहे हैं. इसके अलावा दाखिले के बाद मूल सर्टिफिकेट तक वापस नहीं किये जा रहे हैं. राज्य सरकारों से आग्रह है कि वे अपने उच्च शिक्षण संस्थानों में फीस वापसी के नियमों को लागू करवायें. छात्रों और अभिभावकों की शिकायतों का समय से निपटारा करें. अगर 31 अक्तूबर तक किसी छात्र ने प्रवेश रद्द करने के लिए आवेदन किया होगा तो शुल्क के लिए भुगतान की गयी सभी राशि यूजीसी नियमों के तहत वापस करनी होगी.

अगर कोई छात्र एडमिशन लेने के बाद किसी भी कारण से कॉलेज छोड़ना चाहता है, तो अब कॉलेज उसकी फीस या मूल सर्टिफिकेट नहीं रोक सकते। UGC ने सभी विश्वविद्यालयों और राज्यों को साफ निर्देश जारी किए हैं कि प्रवेश रद्द करने पर छात्र द्वारा जमा की गई पूरी फीस वापस करना अनिवार्य है, और कॉलेज छात्र के ओरिजिनल दस्तावेज़ अपने पास नहीं रख सकते। यदि कोई संस्थान इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उस पर मान्यता रद्द करने से लेकर भारी जुर्माना, ग्रांट रोकने और एडमिशन पर रोक जैसी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह नियम छात्रों को मनमानी शुल्क वसूली और दस्तावेज़ रोक कर दबाव बनाने जैसी प्रथाओं से पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है।

यूजीसी के नए निर्देशों के अनुसार देशभर के कोई भी विश्वविद्यालय या कॉलेज अब छात्र के ट्यूशन फीस, अन्य जमा फीस, या काउंसिलिंग फीस को अपने पास नहीं रख सकते। इसके साथ ही, एडमिशन के समय जमा किए गए Original Academic Certificates—जैसे कि मार्कशीट, ट्रांसफर सर्टिफिकेट, स्कूल/कॉलेज लीविंग सर्टिफिकेट, कैरेक्टर सर्टिफिकेट, या कोई अन्य मूल दस्तावेज—को भी रोककर नहीं रखा जा सकता। यदि छात्र प्रवेश रद्द करता है, तो संस्थान को उसकी पूरी फीस वापस करनी होगी और सभी ओरिजिनल दस्तावेज़ तुरंत लौटाने होंगे। नियम न मानने पर कॉलेज के खिलाफ मान्यता रद्द होने तक की कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

यूजीसी ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई कॉलेज या विश्वविद्यालय फीस वापसी और मूल सर्टिफिकेट लौटाने के नियम का पालन नहीं करता, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे संस्थानों की मान्यता रद्द की जा सकती है, उन्हें मिलने वाली सभी वित्तीय ग्रांट रोक दी जाएगी, और उनपर एक साल या उससे अधिक समय तक नए एडमिशन पर रोक लगाई जा सकती है। इसके अलावा, संबंधित राज्य सरकारें ऐसे संस्थानों के खिलाफ स्टेट एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई भी कर सकती हैं, साथ ही भारी जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। यूजीसी ने कहा है कि किसी भी तरह की मनमानी, फीस रोकना या सर्टिफिकेट दबाकर रखना अब बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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