सभी यूनिवर्सिटी में अब एक सिलेबस लागू | चार वर्षिय स्नातक के सिलेबस में बदलाव:-नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत अब देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में एक समान सिलेबस (Common Curriculum) लागू किया जा रहा है। इस बदलाव का सबसे बड़ा असर चार वर्षीय स्नातक (UG) कोर्स पर पड़ेगा। पहले जहाँ हर विश्वविद्यालय का सिलेबस अलग-अलग होता था, अब सभी में एकीकृत सिलेबस (Uniform Syllabus) लागू होगा।
राज्यभर के सभी विवि में नए सत्र से एनएसएस का कॉमन सिलेबस
राज्य के सभी पारंपरिक विश्वविद्यालयों में ही नए सत्र से स्नातक के चार वर्षीय कोर्स में एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) का कॉमन सिलेबस लागू हो जाएगा। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने इसके लिए पत्र जारी किया था। इसके आधार पर एनएसएस के क्षेत्रीय निदेशक विनय कुमार ने तैयार सिलेबस का ड्राफ्ट राजभवन और शिक्षा में विभाग को सौंप दिया है।
राजभवन की अनुमति मिलने पर सिलेबस लागू हो हो जाएगा और इसके अनुसार पढ़ाई शुरू हो जाएगी। विशेषज्ञों की जिस टीम ने सिलेबस तैयार किया है उसमें टीएमबीयू के एनएसएस समन्वयक डॉ. राहुल कुमार भी शामिल थे। नए सिलेबस में डिजिटल लिटरेसी, माई भारत व नेशन बिल्डिंग की पढ़ाई पर जोर दिया गया है। राजभवन को सौंपे गए सिलेबस में बदलाव करने का कारण बताया गया है। यह बदलाव एनईपी 2020 के तहत किया गया है।
टीएमबीयू में एनसीसी को दे दी एनएसएस की जगह
एक अोर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में एनएसएस का कॉमन सिलेबस लागू करने की तैयारी चल रही है तो टीएमबीयू में जारी सत्र में एनएसएस की जगह एनएसीसी का पेपर अनिवार्य कर दिया गया। सत्र 2023-27 के एबिलिटी इंहांसमेंट कोर्स के चौथे सेमेस्टर में यह व्यवस्था कर दी गई। जबकि अब तक छात्र इस पेपर में एनएसएस की पढ़ाई कर रहे थे। बताया गया कि टीएमबीयू में एनएसएस की पढ़ाई करने वाले 13 हजार छात्र हैं। ये एनएसएस की इंटर्नल परीक्षा भी दे चुके हैं। सीसीडीसी डॉ. एसी घोष ने कहा था कि सभी डीन की बैठक कर इस मुद्दे को देखा जाएगा लेकिन अब तक इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ है।
छात्रों को सामाजिक चेतना के लिए उत्साहित करना है प्रमुख उद्देश्य
एनईपी की ओर से किए गए इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों को सामाजिक चेतना के लिए उत्साहित करना, कम्यूनिटी सेवा के जरिए व्यक्तित्व विकास करना, छात्रों को कैंपस से कम्यूनिटी तक जोड़ना, सामाजिक कार्यों में छात्रों की भागीदारी बढ़ाना और एनएसएस स्वयंसेवक को सामाजिक सेवक के रूप में बदलना है। इससे समाज से कट रहे वर्ग को मूल धारा से जोड़ा जा सकेगा।
एनएसएस का बदला हुआ सिलेबस थ्योरी
- यूनिट एक : इंट्रोडक्शन टू एनएसएस (दो घंटे)- एनएसएस का उद्देश्य और एनएसएस का लोगो, एनएसएस का इतिहास और दर्शन, लक्ष्य और उद्देश्य।
- यूनिट दोः एनएसएस की सांगठनिक संरचना (2 घंटे)- इसमें राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एनएसएस के काम, बैंक, एनजीओ से समन्वय की पढ़ाई।
- यूनिट तीनः एनएसएस गतिविधि, कैंप, समारोह व महत्व (3 घंटे)।
- यूनिट चारः युवा और राष्ट्र निर्माण (तीन घंटे)।
- यूनिट पांच इसमें फील्ड एक्टिविटी, सभी गतिविधि के लिए माई भारत प्लेटफॉर्म, डिजिटल लिटरेसी, इनवायरमेंटल अवेयरनेस एंड रिस्पांस चैप्टर शामिल किए हैं।
क्या है नया चार वर्षीय स्नातक कोर्स?
नई व्यवस्था के तहत अब स्नातक (Graduation) की डिग्री 3 साल की बजाय 4 साल की होगी। इस चार वर्षीय कोर्स में छात्रों को अधिक लचीलापन (Flexibility) और विकल्प (Choice Based Credit System) की सुविधा मिलेगी।
चार वर्षीय स्नातक कोर्स की मुख्य विशेषताएँ
- पहला वर्ष – Foundation Courses (सामान्य ज्ञान, स्किल्स और भाषाएँ)
- दूसरा वर्ष – Major Subject की पढ़ाई शुरू होगी
- तीसरा वर्ष – Research & Elective Subjects
- चौथा वर्ष – Specialization या Research Project
यदि कोई छात्र 3 साल बाद कोर्स छोड़ता है, तो उसे “Bachelor’s Degree” मिलेगी।
और यदि वह 4वाँ वर्ष पूरा करता है, तो “Bachelor’s with Research” डिग्री दी जाएगी।
नया सिलेबस कैसा होगा?
नई प्रणाली के तहत छात्रों को Choice Based Credit System (CBCS) के अनुसार विषय चुनने की स्वतंत्रता होगी।
अब छात्र अपने Major Subject के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों (जैसे कंप्यूटर, पर्यावरण, उद्यमिता, कला आदि) से भी विषय चुन सकेंगे।
नए सिलेबस में शामिल प्रमुख विषय:-
- Communication Skills
- Artificial Intelligence (AI) का परिचय
- Environmental Studies
- Entrepreneurship (उद्यमिता)
- Research Methodology
- Digital Literacy
- Indian Knowledge System (भारतीय ज्ञान परंपरा)
छात्रों को क्या लाभ होगा?
- एक ही सिलेबस से सभी विश्वविद्यालयों के छात्रों के बीच समान अवसर।
- कहीं से भी ट्रांसफर या क्रेडिट ट्रांसफर आसान होगा।
- रोजगार उन्मुख शिक्षा पर जोर दिया गया है।
- मल्टी-डिसिप्लिनरी एजुकेशन (विभिन्न क्षेत्रों की पढ़ाई एक साथ)।
- Higher Studies (PG/PhD) में प्रवेश के लिए आसान आधार।
मूल्यांकन (Assessment) प्रणाली में भी बदलाव
नई प्रणाली में अब Continuous Evaluation (लगातार मूल्यांकन) होगा।
- सेमेस्टर प्रणाली के तहत परीक्षा
- Practical और Project Work पर ज्यादा जोर
- Internal Marks की अहम भूमिका
- Research Project के आधार पर अंतिम मूल्यांकन
क्या होगा 3 साल और 4 साल के कोर्स में अंतर?
| अवधि | डिग्री का नाम | उद्देश्य |
|---|---|---|
| 3 वर्ष | Bachelor’s Degree | सामान्य स्नातक डिग्री |
| 4 वर्ष | Bachelor’s with Research | शोध आधारित स्नातक डिग्री |
यानी जो छात्र रिसर्च या उच्च शिक्षा (PG, PhD) की दिशा में जाना चाहते हैं, उन्हें 4 वर्षीय कोर्स करना होगा।
निष्कर्ष
नई शिक्षा नीति के अनुसार चार वर्षीय स्नातक सिलेबस शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप बनाने का एक कदम है। अब सभी विश्वविद्यालयों में एक ही सिलेबस होने से छात्रों को समान अवसर, बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा और रोजगार के नए रास्ते मिलेंगे।
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