जमीन सर्व में अब खतियान देने की जरूरत नहीं | गर मजरूआ जमीन सरकार की होगी:-राज्य सरकार ने जमीन सर्वे में आम लोगों को नई सहूलियत दी है। अब लोगों को जमीन के खतियान के कागजात देना अनिवार्य नहीं है। केवल खाता-प्लॉट नंबर के साथ सर्वे के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसी तरह गैर मजरूआ जमीन का सर्वे सरकार के नाम पर होगा। लेकिन, दखल-कब्जा बाले लोगों को बर्तमान समय में बेदखल नहीं किया जाएगा। सर्वे अधिकारियों के मुताबिक सर्वे के दौरान जमीन का नक्शा और दस्तावेज बनाना है। किसी को बेदखल नहीं करना है। जिसके नाम पर जमीन है उसका केवल साक्ष्य होना चाहिए। इसमें रसीद, खतियान आदि शामिल है। सरकारी जमीन की जानकारी अंचलाधिकारी के द्वारा दी जाती है। ऐसी जमीनों का सर्वे सरकार के नाम पर किया जाएगा।
इन जमीनों का सरकार के नाम पर सर्वे…
राज्य के विभिन्न इलाकों में गैरमजरूआ आम, गैर मजरूआ मालिक, कैसरे हिंद, बकाश्त भूमि, भू-दान, भू-हदबंदी, बासगीत पर्चा की भूमि, बंदोबस्ती पर्चा की भूमि, वक्फ बोर्ड और धार्मिक न्यास की भूमि का सर्वे सरकार के नाम पर होगा। इन जमीनों की जानकारी अंचलाधिकारियों से सर्वे कार्यालय के द्वारा मांगी गई है ताकि, कोई कब्जाधारी व्यक्ति सरकारी जमीन का सर्वे गलत दस्तावेज देकर अपने नाम पर नहीं करा सके।
बदलाव की जरूरत क्यों
राज्यभर के जिला मुख्यालयों के अभिलेख कार्यालयों में दस्तावेज निकालने के लिए आवेदनों की संख्या ढाई गुना तक बढ़ी है। यह स्थिति पिछले छह महीने से चल रही है। सामान्य तौर पर जिला मुख्यालय स्थित निबंधन कार्यालय के अभिलेखागार व जिला रिकॉर्ड रूम में दस्तावेज निकालने के लिए औसतन 100 से 120 आवेदन हर दिन आ रहे हैं। हर दिन पेंडिंग की संख्या बढ़ती जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक 20 प्रतिशत आवेदन दस्तावेज का कागज फटे होने या खोज नहीं पाने के कारण आवेदनों को रिजेक्ट करना पड़ रहा है।
1995 के बाद के दस्तावेज ही ऑनलाइन…
मद्यनिषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 1995 से अबतक 2,34,62,435 दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन किया गया है। लेकिन 1796 से 1995 तक के करीब 5,13,48,914 दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन करने का काम अभी चल ही रहा है। इसमें से हजारों की संख्या में पुराने दस्तावेजों की स्थिति अच्छी नहीं है। कागज पुराने होने के कारण फट गए हैं। इन दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन का काम पूरा होने के बाद दस्तावेजों को खोजना आसान होगा।
पटना जिला में 2.41 लाख लोगों ने दिया आवेदन…
पटना जिला में अबतक 2.41 लाख लोगों ने जमीन सर्वे के लिए आवेदन दिया है। इसमें करीब 1.19 लाख ऑनलाइन और 1.22 लाख ऑफलाइन आवेदन आया है। ऑफलाइन आने वाले आवेदनों को बंदोबस्त कर्मियों के माध्यम से ऑनलाइन भरा जा रहा है। वहीं राज्य में अब तक 47 लाख परिवार ने खुद ही जमीन के कागज सर्वे के लिए विभाग को उपलब्ध कराए है।
सरकारी जमीन पर कब्जा करेंगे तो छह माह की जेल, जुर्माना या दोनों
बिहार में अब सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने वालों की अब खैर नहीं। सरकारी जमीन, मकान या दूसरी संपत्ति पर अवैध कब्जा करने वालों को रोकने के लिए नीतीश सरकार ने नया और कड़ा कानून बना दिया है। सरकार का ये नया कानून बुधवार को बिहार विधानसभा से पास हो गया। सरकार ने सरकारी जमीन, मकान या फिर किसी और सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने वालों के साथ साथ सरकारी जमीन को लीज पर लेकर समय पर भुगतान न करने वालों से सख्ती से निपटने के लिए ये कानून बनाया है।
सरकारी परिसर आवंटन, किराया वसूली एवं बेदखली संशोधन बिल पास
नये कानून के तहत सरकारी परिसर में अवैध कब्जे पर 6 माह की सजा या 10 हजार जुर्माना या दोनों दंड साथ-साथ दिए जाएंगे। पीड़ित एक सप्ताह के अंदर भवन निर्माण विभाग के सचिव के पास अपील कर सकेगा। बिहार सरकारी परिसर (आवंटन, किराया वसूली एवं बेदखली) (संशोधन) विधेयक 2024 मंगलवार को विधानसभा में पारित कर दिया गया। कानून में संशोधन के बाद अब अवैध रूप से सरकारी परिसर पर कब्जा बनाए रखने और निर्देश के अनुसार उसे खाली नहीं करने यानी सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करने की स्थिति में जुर्माना/ सजा मिलेगी।
भवन निर्माण मंत्री जयंत राज ने कहा कि…
सरकारी परिसरों में रहने वाले व्यक्तियों से किराए के संग्रह और ऐसे परिसरों से व्यक्तियों को बेदखल करने के लिए कानून में संशोधन किया गया है। सरकारी परिसर को अवैध कब्जा की संभावना को कम करने और नियत अवधि के लिए सरकारी परिसर को सरकारी/अर्द्धसरकारी/ वैधानिक संस्थाओं को आवश्यकतानुसार राज्य सरकार द्वारा आवंटित करने के लिए इस कानून की जरूरत पड़ी है।
भास्कर Explainer संशोधन क्यों करना पड़ा?
वर्तमान कानून (बिहार सरकारी परिसर (आवंटन, किराया वसूली एवं बेदखली) अधिनियम, 1956 में लीज पर आवंटित सरकारी भूमि को खाली कराने, लीज किराया का पुनर्निधारण तथा बकाया लीज किराया वसूली आदि से संबंधित नियम स्पष्ट नहीं है। इसको देखते हुए सरकारी परिसर आवंटन किराया वसूली एवं बेदखली कानून में संशोधन करना पड़ा है। समय के साथ कई नए मुद्दे उत्पन्न हुए हैं, जो वर्तमान कानून में शामिल नहीं हैं|
नया प्रावधान क्या जुड़ा?
लीज या पट्टा पर लिए व्यक्ति की मृत्यु के बाद बकाया किराया उनके वारिस से वसूला जाएगा। संशोधन में वारिस से वसूलने का प्रावधान जोड़ा गया है। वारिसों और विधिक प्रतिनिधियों के दायित्व को स्पष्ट किया गया है।
अब क्या होगा?
संशोधन के बाद सरकारी परिसर में कब्जे की संभावना को कम किया जा सकेगा। साथ ही आवश्यकतानुसार राज्य सरकार नियत अवधि के लिए सरकारी परिसर को सरकारी, अर्द्धसरकारी और अन्य वैधानिक संस्थाओं को आवंटित कर सकेगी।
क्या कार्रवाई की जाएगी?
यदि कोई भी व्यक्ति आवंटन आदेश, पट्टा, निपटान और लाइसेंस रद्द होने के बाद भी किसी सरकारी परिसर पर अनधिकृत दखल में हैं तो, सक्षम प्राधिकार नोटिस देकर परिसर खाली करने का आदेश देगा। 1 सप्ताह में परिसर खाली नहीं करने पर कार्रवाई होगी।
बिहार में अब तक 1956 का कानून लागू था
अब तक बिहार में सरकारी संपत्ति का आवंटन कराने वालों या लीजधारी से आवंटन वापस लेने, किराया वसूली या बेदखली का कोई कड़ा कानून नहीं था। सरकार कह रही है कि इससे कारण बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन और संपत्ति पर अवैध कब्जा हो गया है। इसे कब्जा से मुक्त कराने के लिए नए कानून की जरूरत थी। लिहाजा, बिहार सरकारी परिसर (आवंटन, किराया, वसूली, बेदखली) संशोधन विधेयक पारित कराया गया है। विधानसभा में भवन निर्माण मंत्री जयंत राज ने सरकारी जमीन, मकान और संपत्ति से संबंधित संशोधन विधेयक पेश किया। मंत्री जयंत राज ने सदन में कहा कि अब तक सरकारी परिसरों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों से किराया वसूल करने, आवंटन निरस्त करने या फिर उस सरकारी संपत्ति से संबंधित व्यक्ति को बेदखल करने के लिए 1956 का कानून लागू था।
68 साल पुराने कानून में मौजूदा समय के मुताबिक प्रावधान नहीं था…
ऐसे में लौज पर दी गई सरकारी सरकारी जमीन को खाली कराने, लीज किराये का फिर से निर्धारण करने और लीज की बकाया राशि वसूली में कठिनाई हो रही थी। नए कानून के लागू होने के बाद सरकारी संपत्ति पर कब्जे की आशंका कम हो जाएगी। पुराने अधिनियम में लीज पर आवंटित सरकारी भूमि को खाली कराने, लीज किराया का पुनर्निधारण तथा बकाया लीज किराया वसूली से संबंधित नियम स्पष्ट नहीं होने के कारण पटना उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता ने 1956 वाले अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने का परामर्श दिया। फिर पहली मार्च 2024 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें महाधिवक्ता की राय और संबंधित विभागों से प्राप्त मंतव्य/सुझाव के अनुसार ये संशोधन किए गए हैं।
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