बीपीएससी का रिजल्ट जारी | यहाँ से देखें टॉपर लिस्ट और कट ऑफ लिस्ट:-बिहार लोक सेवा आयोग की 69वीं सिविल सेवा परीक्षा के टॉपरों में अधिकतर साधारण परिवार से ताल्लुकात रखते हैं। जिन अभ्यर्थियों ने बीपीएससी में टॉप किया है, उनमें दो की मां तो आंगनबाड़ी सेविका हैं। इसके अलावा किसी के पिता सरपंच हैं तो कोई खेती- किसानी करता है।
बीपीएससीः साधारण परिवार के छात्रों की बड़ी छलांग
टॉप-10 में शामिल एक मात्र महिला क्रांति कुमारी के पिता झारखंड पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आनेवाले अभ्यर्थियों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इन सफल अभ्यर्थियों ने हिन्दुस्तान से बातचीत में भविष्य की अपनी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पुलिस-प्रशासन के जिम्मेवार पद पर रहते हुए वे अपने कर्तव्यों का निर्वहण करेंगे।
रणनीति बनाएं और लक्ष्य हासिल करें: उज्ज्वल
पटना/हाजीपुर। गोरौल प्रखंड में प्रखंड कल्याण पदाधिकारी के रूप में कार्यरत उज्ज्वल कुमार उपकार के टॉप होने की खबर जैसे ही उनके चाहने वालों को मिली बधाई देने वालों का तांता लग गया। बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास था कि अच्छा रिजल्ट होगा, लेकिन टॉप करूंगा यह नहीं सोचा था। मुझे बिहार पुलिस सेवा मिला।
रणनीति बनाएं और लक्ष्य को हासिल करें।
अब मेरी कोशिश होगी कि समाज और पुलिस के बीच के गैप को कम करूं। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा गांव से शुरू हुई 10वीं और 12 वीं की पढ़ाई सीतामढ़ी में की। एनआईटी उत्तराखंड से इंजीनियरिंग की टॉपर बनने की खुशी में हाजीपुर में उज्ज्वल को केक खिलाता उनका दोस्त। पढ़ाई की। उसके बाद दिल्ली में रहकर सिविल सेवा की तैयारी की। वह भी बिना कोचिंग के। सीतामढ़ी जिले के नैनपुर प्रखंड के रायपुर गांव के रहने याले उज्वल के पिता शिक्षक हैं, जबकि मां आंगनबाड़ी सेविका। बहन बीपीएससी शिक्षिका हैं। उज्वल ने कहा कि जब में दसवीं में था तो हमारे कुछ रिश्तेदार कहते थे कि यह लड़का पढ़ाने बाला नहीं है। उनकी मेटालिटी ही ऐसी है। मैं पढ़ाई में कमजोर नहीं था। मैंने इंजीनियरिंग के बाद जॉब छोड़ दिया।
जॉब छोड़ने के बाद लोग कहने लगे कि एक जॉब था, वह भी छोड़ दिया। हमारे माता-पिता को रिश्तेदार द्वारा काफी सुनना पड़ा। फिर भी हमारे माता- पिता और भाई-बहन ने मुझ पर विश्वास रखा। उन लोगों का विश्वास ही था, जो मैं टॉप कर गया। हमारा एक रूमरेंट था। दो बार बीपीएससी में क्वालीफाई नहीं कर पाया, लेकिन हम एक दूसरे को पूरा सपोर्ट करते। आज वह भी 20वीं रैंक लाया है।
हार नहीं मानी, चौथे प्रयास में डीएसपी पद पाया
मेरा यह चौथा प्रयास था। मैं गया जिले का हूं। मैने बिहार बोर्ड से पढ़ाई की। इसके बाद एनआईटी अगरतल्ला से बीटेक किया। तीन प्रयास में निराशा हाथ लगने के बाद भी हार स्वीकार नहीं की। मेरे पिता जो निजी स्कूल में शिक्षक हैं उन्होंने मेरी अच्छी शिक्षा के लिए बहुत त्याग और संघर्ष किया। मां और पत्नी का भी भरपूर सहयोग मिला। मैं हर विद्यार्थी की यही संदेश दूंगा की पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखे एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। मुझे डीएसपी पद मिला है। पुलिस फ्रेंडली रिलेशन के साथ ली एंड ऑर्डर को ठीक रहने में पूरा योगदान दूंगा। सर्वेश कुमार, दूसरी बैंक
दो बार पीटी नहीं निकला जॉब करते पायी सफलता
मैंने तीसरे प्रयास में यह सफलता पाई है। इससे पहले मेरा पीटी नहीं निकल पाया था। मैं उत्तर प्रदेश के देवरिया का रहने वाला हूं। मैंने प्रयागराज से ही कंप्यूटर साइंस विषय में बी-टेक किया है। इसके बाद प्रयागराज के कौशांबी में समाज कल्याण विभाग में कोर्स कोआर्डिनेटर के पद पर संविदा पर कार्यरत हूं। मैने अपनी नौकरी के साथ ही अपनी पढ़ाई और तैयारी जारी रखी। यह उपलबधि इसी का परिणाम है। पिता बृजेश तिवारी सहारा से सेवानिवृत्त कर्मचारी है। मां अनिता तिवारी गृहिणी है। माता- पिता के सहयोग और म्मेहनत से मुकाम पाया है। शिवम तिवारी, तीसरी रक
स्वाध्याय से पाई सफलता अब यूपीएससी पर नजर
मुझे तीसरे प्रयास में चौथी रेक मिली है। में बक्सर जिले के सोनबरसा का हूं। मैंने दिल्ली विवि से राजनीति विज्ञान से स्नातक किया है। फिल्हाल में दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा हूं। मैंने स्व अध्ययन से यह सफलता हासिल की है। मेरे पिला जी नहीं है। मां सुशीला देवी नवानगर पूर्व जिला परिषद सदस्य हैं। मां ने कभी पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी। मेरो तीन बहने हैं, हम दी भाई हैं। घर में पहला हूं। बीपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण किया है। इसका श्रेय मेरी मा और भाई-बहनों को जाता है। धवन कुमार, चौथी रैका
प्रशासनिक सेवा का सपना आखिर साकार हुआ
बिना हार माने जो कोशिश जारी रखी इसी का परिणाम है कि पांचवीं रैंक हासिल की। पिता का साथ छोटी उम्र में छूटने के बाद ही मैने लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। मैं सारण जिले का हूं। स्कूली शिक्षा गांय में हुई। दिल्ली विवि से इतिहास से स्नातक किया। इसके बाद रेलवे में तकनीशियन की नौकरी लगी। सपना था की प्रशासनिक सेवा में जाऊ। प्रशिक्षण ही चल रहा था कि नौकरी छोड़ कर यूपीएससी की तैयारी में जुट गया था। सफलता का श्रेय मेरी बहनों को जाता है। ट्यूशन पढ़ाती रही और उसे मेरी शिक्षा पर खर्च करती रही। विनीत आनंद, पांचवीं रैंक
पहले प्रयास में कामयाब बिना कोचिंग सफल हुए
मेरे दृढ़ निश्चय, अथक प्रयास और स्व अध्ययन से मुझे पहले ही प्रयास में यह सफलता मिली है। मैंने अपनी स्कूली शिक्षा झारखंड के धनबाद से की। इसके बाद मैंने एसएसएलएनटी महिला कॉलेज धनबाद से रसायन विज्ञान में स्नातक किया। इसके बाद से मैंने बिना कोचिग का सहारा लिए घर में ही रहकर चीपीएससी और यूपीएससी की तैयारी में लग गई। मेरे पिता रामाशीष प्रजापति दारोगा के पद पर चाईबासा जिले में कार्यरत हैं। मां गृहिणी हैं। घर में चार भाई हैं। मैं सबसे छोटी हूं। मैं दो बार यूपीएससी में भी शामिल हुई हु। – क्रांति कुमारी, छठी रैंक
रोज आठ घंटे की पढ़ाई और मेहनत का विकल्प नहीं
तीसरे प्रयास में सातवीं रैंक हासिल की है। तीन वर्षों तक رس लगातार मैंने तैयारी की। मैंने दिल्ली में रहकर ही अपनी तैयारी की। मुझे डीएसपी पद पर अपना योगदान देने की जिम्मेवारी मिली है। मेन्स परीक्षा के दौरान मैंने प्रतिदिन 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई की। कभी पढ़ाई से भागा नहीं। मैं इस परीक्षा की तैयारी करने वाले हर विद्यार्थी को यही संदेश दूंगा कि तैयारी करने के लिए कड़ी मेहनत के साथ ही पैर्य धारण बनाए रखें। अगर एक बार में सफलता नहीं मिलती है तो आगे और भी बेहतर तैयारी के साथ परीक्षा में शामिल हों। संदीप कुमार सिंह, सालवां बैंक
गांव से स्कूली शिक्षा पाई और मेहनत से सफलता
यह मेरा दूसरा प्रयास था। इसमें मुझे 8वा स्थान हासिल हुआ है। मैंने अपनी स्कूली शिक्षा गांव में रहकर ही हासिल की। 2019 में पटना विवि से भूगोल से स्नातक किया। मैं सीवान जिले के मदेशिलापुर पश्चिम टोला गांव कार मेरी पढ़ाई काठी संघर्ष ई से पूरी हुई। मेरी मां रीता देवी आंगनबाडी सेविका है। जबकि पिता सरपंच है। दोनों ने ही मेरी पढ़ाई में अपना त्याग किया। मेरा सपना था कि में अपने मां बाध के त्याग को व्यर्थ नहीं जाने दू। अभी में राजगीर में दारोगा की ट्रेनिंग हूं। बेह। -राजन भारती, ध्वी रेक
नौकरी जारी रखते तीसरे प्रयास में पायी कामयाबी
नौवीं रैंक हासिल की है। मैंने कहीं भी कोचिम नाहीं की। स्व अध्ययन से ही सफलता हासिल की। मैंने स्नातक किया है। इसके बाद से डाक विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यस्त हूं। मैंने अपनी तैयारी नौकरी के साथ ही जारी रखी। मैं औरंगाबाद जिले के कैथिसिरो गांव से है। पिता जी अरुण कुमार किसान है। मां गृहिणी हैं। दोनों ने मुझे मेरी पढ़ाई और तैयारी में हमेशा सहयोग किया। कभी कोई दिक्कत नहीं आने दी। मेरी इस उपलब्धि का श्रेय मैं अपने पूरे परिवार को देना चाहता हूँ। – चंदन कुमार, नौवीं रैंक
मेहनत से मिला मुकाम लक्ष्य से कभी डिगा नहीं
बिहार लोक सेवा आयोग में मेरा यह चौथा प्रयास था। इससे पहले जब भी शामिल हुआ पीटी उत्तीर्ण हुआ लेकिन मैन्स उत्तीर्ण हो सका था। लेकिन मैंने हार नहीं मानी और तैयारी और दोगुने मेहनत के साथ जारी रखी। मैं जमुई जिले से आता हूं। मैंने बिहार बोर्ड से पढ़ाई की। मैन एएनएस कॉलेज बाढ़ मगध विवि से अर्थशाख में स्नातक किया। इसके बाद से ही मैंने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया और तैयारी प्रारंभ कर दी। मेरे पिता पेशे से व्यवसायी है और मां गृहिणी हैं। मां पिता दोनों का सहयोग हमेशा रुप। साथ ही सीनियर का भी सहयोग रहा। -नीरज कुमार, दसवीं रैंक
बीपीएससी कटऑफ
श्रेणी | लिखित | फाइनल |
अनारक्षित | 466 | 552 |
अनारक्षित महिला | 463 | 548 |
इडब्ल्यूएस | 454 | 552 |
इडब्ल्यूएस महिला | 442 | 540 |
एससी | 423 | 522 |
एससी महिला | 402 | 504 |
एसटी | 423 | 539 |
एसटी महिला | 385 | 490 |
इबीसी | 447 | 545 |
इबीसी महिला | 434 | 535 |
बीसी | 457 | 552 |
बीसी महिला | 455 | 538 |
बीसीएल | 438 | 538 |
- प्रथम रैंक हासिल करने वाले उजव्वल गौरोल में प्रखंड कल्याण पदाधिकारी हैं
- पहला, दूसरा, तीसरा स्थान लानेवालों ने की है इंजीनियरिंग की पढ़ाई
- दो टॉपरों की मां हैं आंगनवाड़ी सेविका तो किसी के पिता हैं किसान
- टॉप-10 में आई एक मात्र महिला क्रांति कुमारी के पिता सब-इंस्पेक्टर हैं
- 09 सी 72 अभ्यर्थी साक्षात्कार में उपस्थिति हुए थे, वहीं 33 अनुपस्थित रहे
- 10 अभ्यर्थियों का बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के लिए चयन किया गया
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